कृष्ण की राधा दीवानी

एक राधा कृष्ण की दीवानी,
दुजी ये रात सुहानी।
प्यार की रोशनी में नहाता हिमालय,
ये दिल भी कान्हा के प्रेम में ना जाने क्या क्या कराले।
एक वो चांद जो, आसमां में चमक रहा था,
दूजा वो जिसके लिए राधा का दिल धड़क रहा था।
बेचैन अंखियां तेरे इंतज़ार में,
ओ मेरे कान्हा!
रब जी बस यही दुआ है राधा की
जल्द ही कन्हैया से उसे मिलाना।
टिमटिमाता तारा कुछ कहता सा लगता है,
बस प्रेम का राग इस होठों से छलकता है।
बावरी हो चली तेरे प्रेम में ये राधा रानी,
आजा ओ मेरे कान्हा! मैं तो बस तुझ में ही समानी।
बस इतनी करना रहम खुदा,
कभी ना हो मेरे कान्हा मुझसे जुदा।
अरमां है कि हर खुशी मयस्सर हो,
राधा कृष्ण का साथ ज़िन्दगी भर हो।
राधा लगा रही पुकार तुझे,
ओ मेरे कान्हा
देर ना करना जल्दी से आना।
संग में चलना बनकर मेरा हमसफ़र तू।
अपने चरणों में दासी बना पन्हा देना,
दुनिया की भीड़ से रखना मुझे सदा बेखबर तू।
आ तुझे गोद में सर रखकर मैं सुलाऊ,
देना रब्बा उम्र इतनी मुझे अपने कान्हा को कभी बीच राह ना छोड़कर जाऊं।
– काजल
छात्रा, सुभारती विवि, मेरठ।
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